वेदों में गौ वध

"वह कौन सा वेद है जिसमें गोवध पर मृत्युदंड का विधान है?"  समाचार आज ही छपा था, और जिस पत्र में इस आशय का लेख छपा था उसका नाम भी दिया था . मैंने इसे पढ़ा था तो हँसी आई थी अब जब वह पूछ रहा था तो गुस्सा आरहा था. मैंने उसे झिड़का "कोई और विषय नहीं है बात करने को?"

"मैं तो नाम पूछ रहा हूँ और तुम नाराज़ हो रहे हो."

"पाञ्चजन्य वेद."

"अभी तक तो मैं चार ही वेदों को जानता था. यह पाँचवाँ वेद कहाँ से ढूँढ लाये, भाई."

"तुम्हारी जानकारी चार ही वेदों की है तो मैं क्या कर सकता हूँ. तुमने क्या सूक्ष्म वेद का भी नाम नहीं सुना जिसकी जानकारी का दावा कबीर साहब करते थे."

वह गड़बड़ा गया, "कबीर भले कहें "बेद कत्तेब को गम्म नाहीं' परन्तु उनके चेलों ने जान लिया कि वेद क़े ज्ञान क़े बिना कोई प्रमाण पुरुष नहीं बन सकता इसलिए सूक्ष्म वेद का आविष्कार कर लिया. ज़रूरत पड़ने पर चार वेद से सोलह वेद बन जाते हैं यह तो तुम जानते ही होगे."

उसे यह भी पता नहीं था. 

"एक मूर्ख राजा था और उसी क़े दरबार में उसी के योग्य एक राज पंडित था. उसका  ऐलान था कि जो कोई उसे बहस में हरा देगा, वह उसके प्राण ले सकता है, परन्तु यदि हार गया तो उसे प्राणदंड मिलेगा. निर्णायक राजा था. जो भी पंडित आता उससे वह एक ही सवाल करता. ‘वेद कितने हैं?’ तुम्हारी तरह वे भी कहते, ‘चार’. वह कहता, ‘वेद आठ हैं.’  पंडित कहता, ‘यह हो ही नहीं सकता.’ वह, सवाल करता, ‘वेद स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग?’ उत्तर मिलता, ‘पुल्लिंग.’  वह राजा को समझाता, ‘जब चार वेद हैं तो चार वेदनियाँ भी तो हुईं. अब कुल संख्या आठ हुई या नहीं.’ राजा उसे विजेता घोषित कर देता और उस पंडित को फांसी दे दी जाती. राजा को गर्व था कि दूसरे विद्वान सिर्फ चार वेदों की जानकारी रखते है, जब कि उसका दरबारी पंडित आठ वेद जानता है. बात फैली तो आया एक नया पंडित. प्रश्न पूछा गया, ‘वेद कितने हैं.’ उसने कहा, ‘ सोलह’. राजा का माथा ठनका, ‘यह तो उसके पंडित से भी बड़ा पंडित लगता है.’ उसके राजपंडित ने कहा, ‘आठ’. नए पंडित ने पूछा, "कैसे?" उसने चार वेद और चार वेदिनियों का तर्क दुहराया. 

नया पंडित राजा की ओर मुडा, ‘महाराज, जब चार वेद और चार वेदनियाँ साथ रहेंगे तो उनके लड़का और लड़की भी तो होंगे. इस तरह सोलह वेद हुए या नहीं. राजा को बात जाँच गई. उसने सोलह वेदों के जानकर तो अपना दरबारी पंडित बना लिया और पुराने पंडित को फाँसी चढ़ा दिया.

“तो जरुरत पड़ने पर लोग जितने वेद चाहें निकाल सकते हैं. पाँचवें वेद की बात तो बहुत पहले से लोग करते आए है. किसी कि लिए नाट्यशास्त्र पाँचवाँ वेद था तो किसी कि लिए कामशास्त्र, किसी तीसरे कि लिए महाभारत. इटली का सबसे पहला पादरी जो मदुरै आया था, नोबिलि, उसने पहले तो ईसाई बने तमिल ब्राह्मणों से   संस्कृत सीखी और फिर बाइबिल कि चुने हुए अंशों का संस्कृत में अनुवाद किया और घोषित किया कि वह समुद्र पार से वह पाँचवाँ वेद लेकर आया है जो खो गया था, और इसी पाँचवें वेद का अनुवाद जब वाल्तेयर ने पढ़ा तो वह भी मूर्ख बन गए. और जानते हो इसका भी दोष मक्डोनल ने ब्राह्मणो के ऊपर दाल दिया. तो यदि इतनी बार पाँचवाँ वेद पैदा हो सकता है तो आज की ज़रूरत से पाञ्चजन्य वेद पैदा नहीं किया जा सकता?."  पूरी बात उसकी समझ में आई तो वह छतफाड़ ठहाके भरने लगा, एक दौरे के बाद एक.

10/19/2015 10:40:47 AM

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