हमारी सूचना अनुसार भगवान सिंह जी की निम्न पुस्तकों का प्रकाशन अब तक हो चुका है-
काले उजले टीले (1964)
अपने समानान्तर (1970)
महाभिषग (1973)
हड़प्पा सभ्यता और वैदिक साहित्य, दो खंडों में, (1987)
अपने अपने राम (सन 1992)
पंचतंत्र की कहानियां (1994)
उपनिषदों की कहानियां (1995)
दि वेदिक हड़प्पन्स (अंग्रेजी) (1995)
भारत तब से अब तक (1996)
इन्द्रधनुष के रंग (1996)
परम गति (1999)
उन्माद (1999)
शुभ्रा (2000)
भारतीय सभ्यता की निर्मिति (2004)
प्राचीन भारत के इतिहासकार (2011)
कोसंबीः कल्पना से यथार्थ तक (2011)
भारतीय परंपरा की खोज (2011)
आर्य- द्रविड़ भाषाओं का अंतः संबंध (2013);
भाषा और इतिहास,(प्रकाश्य)
Amazon Flipkart से भी ले सकते हैं। लिंक नीचे हैं।
काले उजले टीले (1964)
अपने समानान्तर (1970)
महाभिषग (1973)
हड़प्पा सभ्यता और वैदिक साहित्य, दो खंडों में, (1987)
अपने अपने राम (सन 1992)
पंचतंत्र की कहानियां (1994)
उपनिषदों की कहानियां (1995)
दि वेदिक हड़प्पन्स (अंग्रेजी) (1995)
भारत तब से अब तक (1996)
इन्द्रधनुष के रंग (1996)
परम गति (1999)
उन्माद (1999)
शुभ्रा (2000)
भारतीय सभ्यता की निर्मिति (2004)
प्राचीन भारत के इतिहासकार (2011)
कोसंबीः कल्पना से यथार्थ तक (2011)
भारतीय परंपरा की खोज (2011)
आर्य- द्रविड़ भाषाओं का अंतः संबंध (2013);
भाषा और इतिहास,(प्रकाश्य)
maine sabhee pustaken padhi hain.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, कृपया जांच कर लें कि कोई पुस्तक इस सूची में नहीं है तो वह शामिल कर दी जाए।
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